नई दिल्लीः विश्व के इतिहास में कई बार कुछ ऐसी घटनाएं हुई हैं, जिन्होंने कई बार हवाओं के रुख को मोड़ कर रख दिया है. ऐसी ही एक घटना भारतीय राजनीति के इतिहास में भी घटित हुई है. 23 जून 1980 को हुए एक विमान हादसे ने पूरे भारत को हिलाकर रखने के साथ ही देश में राजनीतिक समीकरण बदल कर रख दिए थे.
दरअसल 23 जून 1980 को हुए विमान हादसे में देश की पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी और फिरोज गांधी के छोटे बेटे संजय गांधी की मौत हो गई थी. उस वक्त देश में संजय गांधी को इंदिरा गांधी के राजनीतिक उत्तराधिकारी के तौर पर देखा जाता था. कहा जाता है कि अगर संजय गांधी की मौत नहीं हुई होती तो राजनीति में इंदिरा के बड़े बेटे राजीव गांधी की एंट्री नहीं होती.
संजय गांधी को मई 1980 में कांग्रेस का महासचिव नियुक्त किया गया था. जिसके ठीक एक महीने बाद हवाई दुर्घटना में उनकी मृत्यु हो गई. हादसे के वक्त संजय गांधी दिल्ली फ्लाइंग क्लब का एक नया विमान उड़ा रहे थे. जिस दौरान एक एरोबेटिक स्टंट करते समय उन्होंने नियंत्रण खो दिया और उनका विमान दुर्घटनाग्रस्त हो गया.
1974 में हुई थी मेनका गांधी से शादी
23 जून, 1980 को नई दिल्ली के सफदरजंग हवाईअड्डे के पास एक हवाई दुर्घटना में सिर में चोट लगने से उनकी तुरंत मृत्यु हो गई. हादसे में विमान में सवार एकमात्र यात्री कैप्टन सुभाष सक्सेना की भी मौत हो गई थी. बता दें कि संजय गांधी ने साल 1974 में 23 सितंबर के दिन मेनका गांधी से शादी की थी. वहीं हवाई दुर्घटना में जिस वक्त संजय की मौत हुई उस समय उनका बेटा वरुण मात्र तीन महीने का ही था.
आपातकाल में संजय गांधी की भूमिका
भारत में इंदिरा गांधी के जरिए घोषित आपातकाल में संजय गांधी की भूमिका काफी विवादास्पद थी. 70 के दशक में उन्हें भारतीय राजनीति में एक दबंग और बेबाक नेता के साथ ही कांग्रेस के भविष्य के तौर पर देखा जाता था. वहीं खुशवंत सिंह की किताब ‘एब्साल्यूट खुशवंत’ में लिखा है कि उनकी मौत के बाद इंदिरा और मेनका के रिश्ते में खटास आ गई थी, जिसके बाद मेनका ने घर छोड़ दिया और राजनीति में अपनी एक अलग पहचान बनाई.